भस्माभिशेक

भास्माभिशेक प्रत्येक सोमवार को रात्रि 9 बजे से रात्रि के 10:30 तक होगा

भास्माभिशेक के लिए केवल धार्मिक वस्त्रों(धोती व कटिवस्त्र) में ही आने की अनुमति हैं

भस्म आरती के नियम

भस्म आरती के दर्शन करने के लिए कुछ खास नियम हैं. यहां आरती करने का अधिकार सिर्फ मुख्य यजमानों का पुजारियों के साथ होता हैं. इस आरती में शामिल होने के लिए पुरुषों को केवल धोती पहननी होती है 

ॐ नमः शिवाय

1. गोबर की भस्म: यह सबसे आम प्रकार की भस्म है जो गोबर को जलाकर बनाई जाती है।

2. गाय के गोबर, बिल्व, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलता और बेर की लकड़ी से बनी भस्म: यह भस्म विशेष रूप से शिवलिंग पर अभिषेक के लिए बनाई जाती है।

3. चिता की भस्म: यह भस्म मृत व्यक्ति के चिता की राख से बनाई जाती है।

4. गोबर, धान, बाजरा, जौ, चना, मूंग, उड़द, मसूर, तिल और सरसों से बनी भस्म: यह भस्म भी विशेष रूप से शिवलिंग पर अभिषेक के लिए बनाई जाती है।

ॐ नमः शिवाय


5. चंदन की भस्म: यह भस्म चंदन की लकड़ी को जलाकर बनाई जाती है।

6. भांग की भस्म: यह भस्म भांग के पत्तों को जलाकर बनाई जाती है।

7. धूप की भस्म: यह भस्म धूप को जलाकर बनाई जाती है।

8. गुग्गुल की भस्म: यह भस्म गुग्गुल को जलाकर बनाई जाती है।

ॐ नमः शिवाय

इन भस्मों के अलावा, कुछ लोग विशेष प्रकार की भस्म भी उपयोग करते हैं, जैसे कि:

गौरीशंकर भस्म: यह भस्म गोबर, गाय के दूध, गाय के घी और गाय के मूत्र से बनाई जाती है।

त्रिपुरा भैरवी भस्म: यह भस्म 108 प्रकार की औषधियों से बनाई जाती है।

महामृत्युंजय भस्म: यह भस्म 11 प्रकार की औषधियों से बनाई जाती है।

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